Sunday, October 25, 2009

युवा शक्ति.....या सिर्फ़ इंधन...


आखिर है क्या ये युवा शक्ति आज़ादी के बाद से ही ये नारा राजनितिक दलों का मुख्या अस्त्र रहा है आज़ादी की लडाई में युवा वर्ग के योगदान को कोई महत्त्व नहीं दिया गया आज़ादी की लडाई का सारा श्रेय लेने वाले आज देश के प्रमुख रानीतिक घराने हैं आखिर देखते देखते ऐसा क्या हुवा की आज युवा ह्रदय सम्राट, युवराज के संबोधन में सुसज्जित राजनितिक पार्टी प्रमुख के पुत्र पुत्रियाँ जनता के बीच अपना जलवा बनाने में लगे हैं क्यूँ आज युवा वर्ग को इतना महत्त्व दिया जा रहा है जबकि आज़ादी के बाद से ही हाशिये पर डाल दिया गया ये वर्ग देश का सबसे उपेक्षित वर्ग रहा है राजनितिक दलों की जो मंशा रही और उन्होंने जो दुष्प्रचार किया उसका पूरा श्रेय मीडिया को ही जाता है जनसँख्या विस्फोट को औजार की तरह इस्तेमाल किया गया संसाधनों की कमी का रोना रोया गया और आम देशवासी अपने आप को कोसता रहा की इतने बच्चे क्यों पैदा किये अब क्या कर सकते हैं कमी हमारी ही रही सरकार इसमें क्या कर सकती है लेकिन सरकार चलाने वाले राजनितिक दलों से लेकर नौकरशाहों तक के राजसी ठाठ बाट की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया और जिसका गया भी तो उसका मुह या तो भर दिया गया या बंद कर दिया गया इसके बहोत से उदाहरण है. युवा वर्ग ने जब भी अपनी उपेक्षा का विरोध किया उसको इस तरह कुचला गया की वो आज अपनी हक की लडाई लड़ने से ही कतराने लगा उसका परिणाम ये निकला की इस युवा शक्ति का फायदा ऐसे राजनितिक दलों ने उठाना शुरू किया जो धर्म जाती और क्षेत्रवाद के नाम पर आम लोगों का खून चूस रहे थे और सरकार में ऐसे लोगों को ख़ास की पदवी दी गयी थी लेकिन देखते ही देखते ये स्थिति विस्फोटक हो गयी और अब सरकार इसके सफाए का प्रयास कर रही है लेकिन इस समस्या की मूल जड़ अपनी जगह बरक़रार है भारत जैसे देश में संसाधनों का रोना रोने वाले खरबों में घोटाला करते हैं कोई प्रदेश का आधा बजट खा जाता है तो कोई नोटों पर सोता है और इसके बाद भी अगर युवा वर्ग के लिए सरकार के पास कुछ भी नहीं है तो राजनितिक दल उनसे ये उम्मीद क्यूँ पाले हुए हैं की वो उनके पक्ष में लामबंद होंगे.बात राहुल गाँधी की हो या किसी की भी सिर्फ दलित या गरीब के घर रात बिताने से या उनके घर खाना खाने को भले ही रानीति नहीं समाजसेवा प्रायोजित किया जाता हो लेकिन उसकी चर्चा जिस तरह पुरे देश में कराइ जाती है उससे काफी हद तक तस्वीर साफ़ हो जाती है की ये लोग आज भी देश के युवा वर्ग को अपनी पार्टी के इंधन से ज्यादा कोई महत्व नहीं देते हैं.अगर देते तो आज राहुल गाँधी की जगह कोई गैर नेहरु होता या अखिलेश की जगह कोई गैर यादव होता. लेकिन हम भी अब तैयार है इनके मुह पर जूता मारने के लिए अब देश का आम युवा ही कल का भविष्य होगा ............जय हिंद.

आपका हमवतन भाई ...गुफरान सिद्दीकी (अवध पीपुल्स फोरम फैजाबाद,अयोध्या)

Thursday, October 15, 2009

अंधकार का दीपोत्सव..प्रकाश




शुभ दीपावली
आइये हम सभी मिल कर इस दीपावली में हर उस घर में दिया जलाएं जहाँ सदिओं से अँधेरा है ये एक प्रयास होगा अंधेरों में रहने वाले उन मासूमों के लिए जिनकी तरफ जवाबदेही से हम बचते रहते हैं लेकिन कब तक बचेंगे ये कोई नहीं जानता.आज हर कोई दीपोत्सव के प्रकाश में सब कुछ भूल जाना चाहता है पर वास्तव प्रकाश कुछ देर के लिए ही होता है और फिर अंधकार हम सभी को अपने आगोश में लेने के लिए मचलने लगता है. मै हमेशा सोचता था की दिवाली वास्तव में उस अंधकार पर विजय का त्यौहार है जिस पर हमेशा के लिए विजय हो चुकी है लेकिन अब देखता हूँ तो वही अंधकार हर दिशा में फैलता जा रहा है और हम अपनी आंखे बंद करके ये सोचते हैं की अभी प्रकाश बाकि है लेकिन जो जा रहा है उसको बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं करते शायद हम कल नहीं देख रहे हैं आने वाला वक़्त जब हमसे प्रश्न करेगा तब हम क्या उत्तर देंगे ये सोचना कोई नहीं चाहता.लेकिन जवाबदेही तो सभी की है.क्या ये नहीं हो सकता की हम इस अंधकार में जी रहे उन मासूमो को रौशनी दिखाने का प्रयास करें जिनके लिए शिक्षा का कोई महत्त्व नहीं या यूँ कहें की वो शिक्षा के महत्व को ही नहीं जानते अगर ऐसा है तो ये ज़िम्मेदारी हमसभी की है की उनको शिक्षित करने के लिए जो भी हो सकता है अपने स्टार से ज़रूर करें शायद यही हम सभी सच्ची दिवाली होगी !
आप सभी को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें !
आपका हमवतन भाई ..गुफरान सिद्दीकी (अवध पीपुल्स फोरम फैजाबाद)