Monday, March 5, 2012

अफवाहों और चकल्लसी पर विराम!!!!!!!


5 मार्च /२०१२ फैजाबाद, कल सुबह कि तस्वीर क्या होगी सोच कर बड़े -बड़े महारथी आज रतजगा करने कि तैयारी में लगे हैं.हर तरह के एक्जिट पोल अपने आंकड़े में समाजवादी पार्टी को 145 से 210 सीटें जीतने का दावा करते दिख रहे हैं पर जैसे जैसे समय निकट आ रहा है वैसे वैसे ये आंकड़े सिमटते जा रहे हैं. ये समझने वाली बात है कि इन एक्जिट पोलों का आधार क्या है. जिस तरह से मतदाताओं ने आज तक चुप्पी साध रखी है उससे ये कहना गलत न होगा कि वास्तव में इस बार पूर्ण रूप से गुप्त मतदान हुवा.आम वोटर स्वयं में इतना उलझा है कि मतदान के बाद भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है.अब देखने वाली बात ये है कि अपने मताधिकार का प्रयोग करने वाला जब स्वयं असमंजस में है तो एक्जिट पोल और तमाम तरह के सर्वे बेकार से लगते हैं. चूँकि समाजवादी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलने कि बात हो रही है तो हमें छोटे दलों के प्रत्याशियों पर खास तौर पर ध्यान देने कि ज़रूरत है क्यूंकि इन छोटे दलों ने सबसे ज्यादा नुक्सान समाजवादी पार्टी को ही पहुँचाया है. जैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस+रालोद कुछ मज़बूत नज़र आ रहा है भाजपा भी 3 -4 सीटों कि बढ़त में दिख रही है और बात करें बसपा कि तो उसको बहुत नुक्सान होता नहीं दिख रहा है.यहाँ सबसे ज्यादा चिंता समाजवादी को अपने वोटों को बचाने में दिखाई दी.पीस पार्टी ने भी काफी सेंधमारी कि अब जब हम पश्चिम से बहार देखते हैं तो पीस पार्टी, कौमी एकता दल, उलेमा काउन्सिल और अपना दल ने सीधे सपा को नुक्सान पहुँचाया है. मै बात कर रहा हूँ उन सीटों कि जिन पर सपा की जीत तय मानी जा रही है.ऐसी 50 से 60 सीटों पर उसको 5 से 8 हज़ार वोटों का सीधा नुक्सान हो रहा है अब इसकी भरपाई कहाँ से होगी देखना दिलचस्प होगा.तमाम खबरिया माध्यमो ने जो माहोल बना दिया है की फलां पार्टी की सरकार बनने जा रही है उसको देख कर यही लगता है की नतीजे सारे आंकड़ों पर पानी फेरने जा रहा है.हमारे सामने गुजरात और बिहार के उदाहरण मौजूद हैं जहाँ राजनीतिक दलों ने दुबारा सत्ता पर कब्ज़ा किया है यहाँ भी कुछ ऐसा देखने को मिल सकता है. अब से कुछ घंटों बाद अफवाहों और चकल्लसी पर विराम लग जायेगा और हम उत्तर प्रदेश में नयी सरकार बनते देख रहे होंगे.

Tuesday, July 6, 2010

शहर-ए-अमन

अजीब मंज़र है
शहर-ए-अमन का,
जब होता है दर्द
ग़ज़ल कहते हैं,
ये हमारी ख़ामोशी
कमजोरी नहीं बेसबब,
हमें शोलों को लफ़्ज़ों में
पिरोने का हुनर आता है !

Sunday, June 20, 2010

पत्रकारिता देश की आवाज़ या पूंजीपतियों का रक्षा कवच..........?

वास्तिवकता चाहे जो रही हो देश के इतिहास में संविधान में सुनहरे दीपक से निकलती इसके प्रकाश की किरने अब कुंद हो चुकी हैं बात ज्यादा पुरानी नहीं है देश की आज़ादी के पहले का समय रहा हो या बाद का इस कौम ने हमेशा अपने आदर्शों एवं देशभक्ति का परिचय दिया लेकिन जैसे ही इलेक्ट्रोनिक मीडिया का उदय हुवा वैसे ही देश की दशा और दिशा बदलने वाली इस कौम की कलम की धार भी कुंद होने लगी राजनितिक दलों की ही भांति ये भी जातिवाद एवं धर्मो में बटते गए और हालत यहाँ तक हो गए की ये आपस में ही गुटबाजी के शिकार हो गए आज हालत ये है की कलम की ताकत से सरकार बनाने,बिगाड़ने वाली ये कौम राजनितिक दलों तथा पूजीपतियों के हाथ की कठपुतली मात्र बन कर रह गयी हैं आज पत्रकारिता ने जिस तरह से व्यवसाय का रूप ले लिए है वो जितना दुखद है उतना ही दुर्भाग्यपूर्ण भी है यहाँ ये कहना कतई गलत नहीं होगा की इस पेशे में दलाल प्रविर्ती के लोगों का वर्चस्व है हम बात करें अगर इनके आचरण की या जीवन शैली की उससे कहीं भी ये नहीं लगता की ये देश के प्रति ईमानदार हैं समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाहन कर रहे हैं इलेक्ट्रोनिक मीडिया के उदय के साथ ही उसमे रोजगार की आपार संभावनाओं को देखते हुए देश का वो युवा वर्ग जो बचपन से ही इससे प्रभावित रहा है आकर्षित हुए बिना न रह सका और साहूकारों की नज़र में ये व्यवसाय भी कमाई का अड्डा बन गया वैसे भी जिस देश में भगवान् का सौदा करने वाले उद्योगपती हों वहां क्या नहीं बिकेगा देखते ही देखते देश में सैकड़ों की संख्या में पत्रकार बनाने वाले कालेजों का उदय हो गया और एक मोटी रकम के साथ डिग्रियां रेवड़ियों की तरह बंटने लगी अब ज़रूरत देश में शिक्षा का ढांचा बदलने की चाहे बात कानून की हो या फिर पत्रकारिता की या प्रोफेशनल कोर्सों की सरकार को इन सभी को अनिवार्य विषय के रूप में स्नातक से ही इसको शामिल कर देना चाहिए इंटर के बाद इनमे से किसी भी कोर्से में दाखिले के लिए अभ्यर्थी को पात्र कर देना चाहिए लेकिन अगर ऐसा हो गया तो इन साहूकारों और शिक्षा के दलालों का क्या होगा ये प्रश्न ज़रूर सरकार को परेशान कर सकता है..

कभी प्रिंट मीडिया अपने आप में देश की एक सशक्त आवाज़ हुवा करती थी लेकिन जब से बाजारवाद हावी हुवा है इनकी पैनी कलम की धार भी कुंद हो चुकी है आज कोई भी अख़बार उठा कर देख लीजिये ये सांडे के तेल से लेकर जादू टोना करने वाले तांत्रिकों के प्रचारों से भरा पड़ा रहता है
इतना ही नहीं ख़बरों को बिना जांचे परखे सिर्फ लोगों से सुन कर ये सनसनी फ़ैलाने का काम भी करते रहते हैं यहाँ तक की कई बार इनको सार्वजानिक रूप से माफ़ी भी मांगनी पड़ती है वैसे जितने भी अख़बार हैं सब अपने आप को देश का नंबर1 अख़बार कहते नहीं थकते कोई सच बेचने का दावा करता है कोई समाज की बुराइयों को प्रमुखता से छपने की बात करता है लेकिन आचरण सभी का कैसा हम सब जानते हैं ख़बरों से ज्यादा इनमे प्रचार होता है और प्रचार भी कैसे बताने की ज़रूरत नहीं देश के युवा वर्ग को गुमराह करने के लिए हर अखबार प्रमुखता से एक प्रचार छापता है मीठी बातें दोस्त बनाइये और न क्या क्या स्लोगन होते हैं लेकिन फिर भी ये कहते हैं की हम देश की आवाज़ हैं क्या देश को सांडे का तेल चाहिए या जादू टोना करने वाले तांत्रिक फ़कीर या फिर मीठी बातें करके दिल बहलाने वाले फ़ोन नंबर चाहिए होते हैं ये सब देश की खातिर छापने पर मजबूर रहते हैं,
इलेक्ट्रानिक मीडिया का बढ़ता दायरा आज जिस तरह से छोटे छोटे दलालों का हथियार बनता जा रहा है उसकी नजीर हम अपने शहर में देख सकते हैं जहाँ ये केबल न्यूज़ लोकल स्तर पर चलाते हैं वहां इनके दलाल जनत का शोषण करते आपको अस्सानी से दिख जायेंगे सोचने वाली बात ये है की जब छोटे स्तर पर ऐसा है तो प्रदेश और राष्ट्रीय खबरिया चैनलों का क्या होगा ये जिस तरह से ख़बरों को सनसनी में बदलते रहते हैं उससे ये कौन सी क्रांति लाना चाहते हैं समझ से परे है हाँ ये ज़रूर है है की जिस तरह से इलेक्ट्रोनिक मीडिया का आगाज़ हुवा था उसको देख कर ये ज़रूर लगा था की अब देश के भ्रष्ट राजनेता, अधिकारीयों की जमात की खैर नहीं लेकिन जैसे जैसे वक़्त बदला सब कुछ सामान्य हो गया देश की ये जमात भी अब सास बहु के धारावाहिकों की तरह बन कर रह गया कुछ चैनल तो ऐसे हैं जो सिर्फ गोसिप पर चल रहे हैं ये खबरिया चैनल न हो कर मनोरंजन का साधन मात्र बन कर रह गए हैं.

Monday, April 12, 2010

राहुल का नया पैंतरा, बसपा की जड़ में मट्ठा,

अभी दिसंबर की बात है जब राहुल अम्बेडकरनगर में एक रैली को संबोधित करने आये थे मैंने तभी लिखा था 'माया के किले में युवराज की सेंध' इसको कांग्रेस का ये नया नाटक काफी हद तक साबित करने के लिए काफी है वो कहते हैं की पेड़ को अगर सुखाना हो तो उसकी जड़ में मट्ठा डाल दो अब लगता है कांग्रेस ने तय कर लिया है की जिन बाबा साहेब के नाम पर बसपा उत्तर प्रदेश में राज कर रही है उन पर से बसपा के एकाधिकार को चुन्वती दी जाय और इसके लिए समय और जगह का चुनाव बिलकुल सटीक किया गया है १४ अप्रैल अम्बेडकर जयंती जगह बसपा का अपराजित दुर्ग (यूँ कहें बसपा की जड़) कहा जाने वाला अम्बेडकर नगर जिला,

और बसपा की जड़ में मट्ठा डालने आ रहे हैं कांग्रेस के भविष्य जिनको देश की मीडिया युवराज बुलाती है अब ऐसा कैसे हो सकता है की अपनी जड़ में किसी को मट्ठा डालता देख माया और उनके लायक नेता,मंत्री,विधायक खामोश रहेंगे. तो साहब यहीं से शुरू हो गयी ज़बानी जंग अब दोनों एक दुसरे को औकात दिखाने पर लगे हुए हैं कांग्रेस के दिग्गज जहाँ इस रैली को सफल बनाने के लिए अम्बेडकरनगर और उसके आस पास के जिलों में डेरा डाले हुए हैं वहीँ बसपाई शासन प्रशासन की हनक का की मदद लेने से भी नहीं हिचक रहे हैं कुल मिला कर दोनों अपनी अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने पर उतारू हैं और इस जंग में सबसे ज्यादा फायदे में अगर कोई है तो राहुल हैं फ्री का प्रचार जो करोड़ों खर्च करके भी नहीं हो सकता अब देखना है की इस शक्ति प्रदर्शन में सब कुछ शांतिपूर्ण निपट जाता है या फिर इसको हवा देकर मुद्दा बनाने की कोशिश की जाती है...

खबर ये भी है की सभी बड़े न्यूज़ चैनल्स अपनी (ओ.बी.) और टीम के साथ इस मसालेदार खबर को जनता के सामने परोसने के लिए तैयार हैं जो एक दिन पहले अम्बेडकरनगर में डेरा डालने पहुँच जायेंगे अब हो भी क्यूँ न भाई कुछ दिन के लिए तो फुर्सत मिल ही जाएगी २-३ दिन तो खेलने के लिए ये नूरा-कुश्ती काफी है और कहीं अनुमान सही निकला तो खबर तीखी भी हो सकती है अब ऐसा मौका कौन चूकना चाहेगा आखिर टी.आर.पी. की जंग भी तो है जब कांग्रेस-बसपा पीछे नहीं तो ये खबरिया चैनल क्यूँ रहें.
थोड़ी सी बात आम आदमी की भी हो जाये जिसकी चिंता न तो बहन जी को है और युवराज तो बेचारे अभी बच्चे हैं वो आटे दाल का भाव जान कर क्या करेंगे वो तो देश भ्रमढ़ पर निकले हैं अभी तो ये जानकारी कर रहे हैं की ये जो गरीब हैं वो अभी भी अनाज खा रहे हैं या घास फूस से गुजारा कर रहे हैं उनकी सबसे बड़ी चिंता ये है की ये अभी तक जीवित कैसे हैं आखिर गरीबी हटाने का नारा जो दिया है देश से इसी लिए गरीबों के घर जा कर देख आत़े हैं की कितने दिन की ज़िन्दगी और बची है इनकी.

( देखना दिलचस्प होगा की १४ तारिख को होने वाली नौटंकी में कौन सबसे ज्यादा मनोरंजन करेगा और पहले स्थान का हकदार बनेगा.
और कौन इस नौटंकी को जनता तक सबसे बेहतर तरीके से दिखायेगा कुल मिला कर आइ.पी.एल. जैसा रोमांच देखने के लिए तैयार रहिये. )

आपका हमवतन भाई ...गुफरान सिद्दीकी ( अवध पीपुल्स फोरम अयोध्या फैजाबाद )

Monday, February 22, 2010

अनंत अंत

अनंत अंत को तलाश करते हुए एक ऐसे पथ पर चल रहा हूँ जहाँ दूर दूर तक फैला अन्धकार है मुझे लगा ये मेरा वहम है लेकिन इस अंधकार से बाहर निकलने का कोई रास्ता मुझे नहीं मिल रहा है बहुत तलाश करने पर भी वो रौशनी की किरण नहीं दिखती जिसके लिए मै यहाँ आया.....

अनंत अंत

इस अर्थ हीन जीवन में
अनंत अंत के चक्कर में
भटकता सा चंचल मन मेरा है ,
कभी सोचता हूँ इस सृष्टि को
मेरे लिए रचा गया है , कभी
इनसे भागता सा मन मेरा है,
स्वयं को धिक्कारती सी आत्मा
सब कुछ पाने को बेताब शरीर दिखे है ,
अपनों के पापों से दूषित देखो
गंगा का निर्मल जल भी दिखे है,
सूरज की किरने भी अब तो
अपनों के लहू सी लाल दिखें हैं,
इस जीवन दाई हवा से पूछो
उसमे घुलता सा ज़हर ये किसका है,
अनंत अंत के चक्कर में
भटकता सा चंचल मन मेरा है,

Thursday, January 7, 2010

देश के दाद खाज !!!!!!!!!!!!!!


काफी दिनों के बाद कुछ लिख रहा हूँ इसके लिए क्षमा चाहूँगा अभी हल ही में पेट्रोलियम राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने एक व्यक्तव्य दिया की २५ रुपये अधिक दीजिये और रसोई गैस आपके घर आसानी से पहुँच जाएगी ये सुविधा अभी महानगरों में शुरू करने जा रहे हैं कुछ बोलने से पहले ये बता दूँ की ये महाशय भी परिवार की राजनीती से जन्मे हैं जैसा की कांग्रेस का इतिहास रहा है की राजनीती यहाँ व्यवसाय है उसी के चलते अपने पिता से विरासत में मिली लोकसभा सीट से संसद बने और अब केंद्र में मंत्री हैं यूँ कहने को तो ये राहुल गाँधी के युवा ब्रिगेड के सिपाही हैं जो देश की दशा और दिशा सुधरने आयें हैं.
लेकिन इन महाशय को ये पता ही नहीं की करोड़ों लोग अभी भी बिना चूल्हा जलाये एक टाइम खा कर जिंदा है और जिनको गैस की ज़रूरत है वो बेचारे अँधेरे मुह ही ५ रुपये बचाने के लिए लाइन में लग जाते हैं और इस कपकपाती ठण्ड में जहाँ जितिन प्रसाद जी सरकारी खर्च पर ब्लोवर की गर्मी में सोते हैं वहीँ आम आदमी अपनी नींद हराम करके २-३ घंटे लाइन में रह कर गैस लेता है वो धक्के मुक्के खाता हुआ गैस लेता है और ऊपर से कालाबाजारी भी झेलता है लेकिन अब कांग्रेस की दलाली को आगे बढ़ाते हुए ये जनाब भी आम आदमी की जेब हलकी करने जा रहे हैं जब २५ रुपये और खर्च करके आसानी से गैस मिल जाएगी तो कालाबाजारी भी बढ़ेगी अब २५ को ५० बनाने में और आसानी हो जाएगी आखिर सरकार की मुहर जो लग जाएगी कहने को तो एम.बी.ए. के डिग्री धारक और पूर्व सरकार में स्टील मंत्री रह चुके हैं लेकिन अब वो भी खिलाडी बन गए हैं वो हैं तो एग्रिकल्चरिस्ट और शाहजहांपुर के रहने वाले हैं लेकिन उनका नया पता अब दिल्ली है ये महाशय बेल्जियम, जर्मनी,सिंगापुर,यू.के,समेत अमरीका की भी सैर कर चुके हैं लेकिन देश के किस किस राज्य या जिले में गए ये नहीं पता और तो और इनके शौक भी नवाबी हैं
तो क्या हम ये मान के चले की आस्मां छूती महंगाई और केरोसीन की कालाबाजारी के बीच अब उपभोक्ता गैस की सरकारी काला बाजारी के लिए भी तैयार रहें आखिर क्यूँ नहीं ये समझते की जो सरकारी निजाम चल रहा है उसी को चुस्त और दुरुस्त करके जनता को लाभ पहुचाया जा सकता है अगर यही राहुल की युवा ब्रिगेड की खोज है तो राहुल जी ये खोज नहीं देश के लिए खाज हैं और आप भी दाद बनते जा रहे हैं ऐसा न हो की एक बार फिर से क्रांति हो पिछली बार तो सत्ता नेहरु-गाँधी परिवार में ही थी लेकिन इस बार ये नाम ही नहीं बचे.....
आपका हमवतन भाई गुफरान (अवध पीपुल्स फोरम अयोध्या फैजाबाद)

Monday, December 7, 2009

माया के किले में युवराज की सेंध


कल कांग्रेस के युवराज अम्बेडकर नगर (अकबरपुर) के दौरे पर आ रहे हैं यहाँ हम फिर से ऐसे किसी विवाद के लिए तैयार हैं जब वो किसी दलित के घर अपनी प्यास या भूक मिटाने जा सकते हैं और साथ ही राजनितिक पार्टिओं में बयान बाजी शुरू हो सकती है और मीडिया को खेलने के लिए एक मुद्दा मिलेगा और पूरा दिन इसी सब में निकल जायेगा लेकिन जनता से जुडी गंभीर खबर से हम सब महरूम रहेंगे.कल जब राहुल गाँधी अम्बेडकर नगर आएंगे तो एक तीर से कई निशाने साधने का प्रयास रहेगा एक तो ये जिला उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमों मायावती का जिला कहा जाता है जहाँ से वो कई बार सांसद रह चुकी हैं और यहाँ की पांचो विधानसभा सीटों पर बा.स.पा. कब्ज़ा है और पिछले लोक सभा चुनाव में स.पा. से इस लोक सभा सीट को भी छीन कर पुरे जिले में अपनी बादशाहत कायम कर ली.

सभी जानते हैं की इसी जिले से पूर्वांचल में बा.स.पा.ने अपनी धमक जमाई थी या यूँ कहें की ये बहुजन समाज पार्टी का एक मज़बूत किला है जिसमे सेंध मारी करने के पूरे मूड में होंगे राहुल गाँधी.उनकी मंशा होगी की यहाँ से जो आग लगे उसकी आंच सीधे 5 काली दास मार्ग को अपनी तपिश के आगोश में ले ले.और किसी न किसी तरह उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को ऐसी बयानबाज़ी के लिए उकसाया जाय जिसके सीधे निशाने पर राहुल गाँधी हों. इसमें उत्तर प्रदेश शासन की फ़िज़ूल खर्ची और दलितों पर इस शासन काल में हुए उत्पीडन का प्रमुखता से जिक्र होगा और यहाँ मुस्लिम आबादी होने के नाते समाजवादी पार्टी पर भी भरपूर प्रहार की उम्मीद की जा सकती है.यहाँ बुनकरों की समस्याओं को भी एक हथियार के रूप में इस्तिमाल किया जा सकता है और अम्बेडकरनगर का पिछड़ापन आग में घी का काम करेगा कुल मिला कर कल का दिन सभी समाचार माध्यमो के लिए अच्छा गुजरेगा अभी ६ दिसंबर की खुमारी ख़त्म भी नहीं हुई थी की राहुल गाँधी का अम्बेडकर नगर दौरा मिल गया नहीं तो पता नहीं कहाँ कहाँ भटकना पड़ता ख़बरों के लिए.
लेकिन उत्तर प्रदेश की जनता से अगर कांग्रेस युवराज को बहोत सी उम्मीदें हैं तो शायद आने वाले विधान सभा चुनाओं में उसका जवाब भी उनको मिल जायेगा हम बात कर रहे हैं आम भारतीओं की और जब उत्तर प्रदेश की बात हो रही है तो हम बात करते हैं उत्तर भारतीओं की क्या राहुल जवाब देंगे की महाराष्ट्र में राज की गुंडा गर्दी क्यों नहीं रोकी जा रही है ? क्या वो जवाब देंगे की विकास की कितनी कीमत और चुकानी होगी गरीब जनता को ? क्या वो जवाब देंगे की विकास दर बढ़ाने के लिए करोंड़ों घरों का बजट उलट पलट कर क्यों रख दिया ? क्या वो जवाब देंगे की आज देश विकास के रास्ते आगे बढ़ रहा है या महंगाई भूक बदहाली कुपोषण की गिरफ्त में जा रहा है ?

अब निश्चित ही उत्तर प्रदेश तैयार हो रहा है जवाब देने के लिए अपने ऊपर किये गए हर ज़ुल्म का चाहे भा.जा.पा. की 'लड़ाओ और राज करो' की निति हो या 'स.पा. की डराओ और राज करो' की निति हो या 'बा.स.पा. की बांटों और राज करो' की निति इन सब से जनता ने सबक ले लिया है और रही बात कांग्रेस की तो 'लड़ाओ,डराओ,बांटो' की राजनीती अंग्रेजों से सीख कर ही आजाद भारत पर सबसे ज्यादा समय तक राज किया है और बाद में सभी क्षेत्रीय दलों ने इनमे से एक एक सबक आपस में बाँट लिया.अगर किसी को साफ़ दिखाई नहीं देता तो वो धुंधली आँखों से ही देख ले की इस बार फिर से सभी राजनितिक दलों को सरकार बनाने के लिए लोहे के चने चबाने पड़ेंगे.