अरे भाई ये सुभाष चंद्र बोस कौन है कुछ सुना सुना नाम लग रहा है! हाँ याद आया बचपन में गुरु जी ने हम लोगों की किताब में कोई कहानी पढाई थी कोई था देश के लिए बहोत बड़ी कोई सेना बनाने वाला क्या नाम था सेना का ..........हाँ 'आजाद हिंद फौज' आज अख़बारों के माध्यम से पता चला की उनकी जन्मशती है वो भी किसी भी राष्ट्रीय अखबार के मुख्या पृष्ठ पर नही बल्कि बीच के पन्ने पर छोटा सा दिया हुवा था ! अब ये कोई राज नेता तो हैं नही की बहेनजी , भाई साहब , चाचा फलाने , काका फलाने, अम्मा , बाबु जी , साहब और भई न जाने क्या क्या नाम होते हैं जब इन नेताओं का जन्मदिन होता है और पुरा प्रदेश , देश इनकी जय जय कार करते हैं और हमारे खबरिया माध्यम पुरा दिन टी.वी.पर इनको दिखाते रहते हैं और अखबार उनकी जय जय कार से पटे पड़े रहते हैं !ऐसे में हमको ऐसे आदमी को याद करने से क्या मिलेगा जिसको हमारी अपनी सरकार ने कभी देश भक्त मानने से इनकार कर दिया था और पता नही कहाँ उन्होंने अपनी जीवन की अन्तिम सांसे ली !
कुछ लोग कहते हैं की फैजाबाद में गुमनामी बाबा की समाधी उन्ही की है सो हम भी आज के दिन कुछ पलों के लिए वहां चहेल कदमी कर आए और लगे हाथ कुछ बात चीत भी कर ली गुमनामी बाबा से लेकिन बाबा जी ने मुझे कोई जवाब नही दिया हाँ वापसी पर अलबत उस समाधी से आवाज़ आई की अबे नालायक तू क्यों मेरी चिंता में घुला जा रहा है जब मेरे देश ने ही मुझे भुला दिया तो तू तो अभी ठीक से देशवासी भी नही हो पाया है ! जा पहले इन तथा कथित देश भक्तों से नेताओं से देशवासी होने का पहचान पत्र ले कर आ फ़िर मुझसे बात करना और हाँ रात के अंधेरे में ही आना नही तो तेरा भी सौदा कर दिया जाएगा और फ़िर तुझे भी मरने से पहले यूँ ही गुमनामी की ज़िन्दगी बितानी होगी और मरने के बाद भी सरकार ही घोषित करेगी की तू है कौन और वो भी १००-२०० सालों की जाँच करने के बाद.........,,ये वो नेता जी थे जिनको शायद हम सभी भुला चुके हैं और चिरकुट सरकारी मदद लेने वाले क्रांतिकारियों से भी गया गुजरा समझते हैं.....................,,,,,,,,,,,,