अजीब मंज़र हैशहर-ए-अमन का,
जब होता है दर्द
ग़ज़ल कहते हैं,
ये हमारी ख़ामोशी
कमजोरी नहीं बेसबब,
हमें शोलों को लफ़्ज़ों में
पिरोने का हुनर आता है !
वास्तिवकता चाहे जो रही हो देश के इतिहास में संविधान में सुनहरे दीपक से निकलती इसके प्रकाश की किरने अब कुंद हो चुकी हैं बात ज्यादा पुरानी नहीं है देश की आज़ादी के पहले का समय रहा हो या बाद का इस कौम ने हमेशा अपने आदर्शों एवं देशभक्ति का परिचय दिया लेकिन जैसे ही इलेक्ट्रोनिक मीडिया का उदय हुवा वैसे ही देश की दशा और दिशा बदलने वाली इस कौम की कलम की धार भी कुंद होने लगी राजनितिक दलों की ही भांति ये भी जातिवाद एवं धर्मो में बटते गए और हालत यहाँ तक हो गए की ये आपस में ही गुटबाजी के शिकार हो गए आज हालत ये है की कलम की ताकत से सरकार बनाने,बिगाड़ने वाली ये कौम राजनितिक दलों तथा पूजीपतियों के हाथ की कठपुतली मात्र बन कर रह गयी हैं आज पत्रकारिता ने जिस तरह से व्यवसाय का रूप ले लिए है वो जितना दुखद है उतना ही दुर्भाग्यपूर्ण भी है यहाँ ये कहना कतई गलत नहीं होगा की इस पेशे में दलाल प्रविर्ती के लोगों का वर्चस्व है हम बात करें अगर इनके आचरण की या जीवन शैली की उससे कहीं भी ये नहीं लगता की ये देश के प्रति ईमानदार हैं समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाहन कर रहे हैं इलेक्ट्रोनिक मीडिया के उदय के साथ ही उसमे रोजगार की आपार संभावनाओं को देखते हुए देश का वो युवा वर्ग जो बचपन से ही इससे प्रभावित रहा है आकर्षित हुए बिना न रह सका और साहूकारों की नज़र में ये व्यवसाय भी कमाई का अड्डा बन गया वैसे भी जिस देश में भगवान् का सौदा करने वाले उद्योगपती हों वहां क्या नहीं बिकेगा देखते ही देखते देश में सैकड़ों की संख्या में पत्रकार बनाने वाले कालेजों का उदय हो गया और एक मोटी रकम के साथ डिग्रियां रेवड़ियों की तरह बंटने लगी अब ज़रूरत देश में शिक्षा का ढांचा बदलने की चाहे बात कानून की हो या फिर पत्रकारिता की या प्रोफेशनल कोर्सों की सरकार को इन सभी को अनिवार्य विषय के रूप में स्नातक से ही इसको शामिल कर देना चाहिए इंटर के बाद इनमे से किसी भी कोर्से में दाखिले के लिए अभ्यर्थी को पात्र कर देना चाहिए लेकिन अगर ऐसा हो गया तो इन साहूकारों और शिक्षा के दलालों का क्या होगा ये प्रश्न ज़रूर सरकार को परेशान कर सकता है..
अभी दिसंबर की बात है जब राहुल अम्बेडकरनगर में एक रैली को संबोधित करने आये थे मैंने तभी लिखा था 'माया के किले में युवराज की सेंध' इसको कांग्रेस का ये नया नाटक काफी हद तक साबित करने के लिए काफी है वो कहते हैं की पेड़ को अगर सुखाना हो तो उसकी जड़ में मट्ठा डाल दो अब लगता है कांग्रेस ने तय कर लिया है की जिन बाबा साहेब के नाम पर बसपा उत्तर प्रदेश में राज कर रही है उन पर से बसपा के एकाधिकार को चुन्वती दी जाय और इसके लिए समय और जगह का चुनाव बिलकुल सटीक किया गया है १४ अप्रैल अम्बेडकर जयंती जगह बसपा का अपराजित दुर्ग (यूँ कहें बसपा की जड़) कहा जाने वाला अम्बेडकर नगर जिला,